वरध तकत. Aldivan Teixeira Torres
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भूलभुलैया के अंत ने मुझे गुफा के गलियारों के अजीब दृश्य में ला दिया। एक आईनों से बना कमरा। मैं बहुत डर के चल रहा था कि कहीं कुछ ना टूट जाये। मैं आईने में अपना प्रतिबिम्ब देख पा रहा हूँ। अब मैं कौन हूँ? एक कमजोर जवान सपने देखने वाला जो अपनी किस्मत की खोज करने ही वाला है। मैं थोड़ा चिंतित दिख रहा था। इन सब का क्या मतलब था? दीवारें, छत, फर्श सब कुछ कांच का बना हुआ है। मैंने कांच के सतह को छुआ। यह वस्तु कितनी भंगुर है लेकिन खुद के पहलू को प्रतिबिंबित करती है। तुरंत ही तीन आईनों में अलग दृश्य दिखते है, एक बच्चा, ताबूत पकडे एक जवान आदमी और एक बूढा आदमी। ये सब मैं हूँ, क्या यह एक दर्शन है? सच में मेरे बच्चों जैसे पहलु है जैसे पवित्रता, मासूमियत और लोगों में भरोसा। मुझे नहीं लगता कि मैं इन गुणों से छुटकारा पाना चाहता हूँ। एक पंद्रह साल का नौजवान मेरी एक दुःखद स्थित को प्रदर्शित करता है: मेरे पिता की मृत्यु। उनके कठिन और पृथक रास्ते थे, फिर भी वो मेरे पिता थे। मेरी यादों में मुझे वो अब भी याद हैं। बूढ़ा आदमी मेरा भविष्य दिखाता है। वह कैसा होगा? क्या मैं सफल होऊंगा? शादीशुदा, अकेला या विधुर होऊंगा? मैं एक घिनौना और दुखी बुजुर्ग नहीं होना चाहता। यह दृश्य बहुत हो गए। मेरा वर्तमान अभी है। मै एक 26 साल का जवान आदमी हूँ, गणित में डिग्री के साथ, एक लेखक हूँ। मैं अब कोई बच्चा नहीं रहा, ना ही पंद्रह साल का वो जिसने पिता को खोया है। मैं कोई बूढ़ा भी नहीं