वरध तकत. Aldivan Teixeira Torres

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वरध तकत - Aldivan Teixeira Torres

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इस उम्मीद में की मुझे कुछ खाने का मिल जाए। अब जबकि दोपहर भी बीत गई है, मेरे पेट में भूख बढ़ती है। मैं रास्ते के दोनों तरफ देखता हूँ। पर लगता है खाना जंगल में ही है। हम प्रायः आसान रास्ते की तलाश करते है लेकिन यह वह रास्ता नहीं होता जो सफलता कि ओर ले जाए? ( हर वो पर्वतारोही जो पथ पर आगे बढ़ते हुए पहाड़ पर चढ़ता है वो प्रथम पर्वतारोही नहीं होता जो पहाड़ की चोटी पर पहुंचा हो) छोटे रास्ते आपको अपने लक्ष्य तक जल्दी पहुँचाते है। इस सोच के साथ कि कुछ वक्त के बाद मैं यह रास्ता छोड़ दूंगा और जल्द ही मुझे केले तथा नारियल के पेड़ मिल जायेंगे, और मैं उन्हें अपना खाना बना लूंगा। मुझे उसी शक्ति और भरोसे के साथ उन पेड़ों पर चढ़ना होगा जिस भरोसे और शक्ति के साथ मैं इस पर पहाड़ चढ़ा हूँ। मैं एक बार प्रयत्न करता हूँ, दो बार करता हूँ, तीन बार करता हूँ और सफल हो जाता हूँ। मैं अपनी झोपड़ी में वापस जाता हूं क्योंकि मैंने अपनी पहली चुनौती पूरी कर ली है।

      जैसे ही मैं अपनी झोंपड़ी में पहुँचा मैंने देखा कि पहाड़ों की संरक्षक पहले से भी अधिक शानदार लग रही थी। उसकी आँखे मेरे से कभी दूर नहीं हुईं थी। मुझे लगता है मैं परमेश्वर के लिए कुछ ख़ास हूँ। मैं उनकी मौजूदगी हमेशा महसूस कर सकता हूँ। वो मुझे हर तरह से पुनः जीवित कर देते हैं। जब मैं बेरोजगार था, उन्होंने मेरे लिए दरवाज़ा खोला, जब मेरे पास पेशेवर तरीके से ऊँचा उठने के लिए पर्याप्त मौके नहीं थे, उन्होंने मुझे नया रास्ता दिखाया, मुसीबत के समय में, मुझे शैतान के बंधनों से मुक्त किया। कुछ भी हो, लेकिन उस अंजान औरत से अनुमोदन उस आदमी की याद दिलाता है जो मैं कुछ देर पहले था। मेरा तात्कालिक लक्ष्य था कि मैं उन बाधाओं की परवाह किये बिना जिन्हें मुझे पार करना है जीत जाऊं।

      -तो तुमने पहली चुनौती

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