अस्वीकृत. Owen Jones

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अस्वीकृत - Owen Jones

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एक किसान की आमदनी में दो बच्चों की परवरिश की हक़ीक़त ने कई सालों पहले ही उसके दिल से यह चाहत निकाल दी थी। इस सब के बावजूद श्रीमती ली एक खुश औरत थी, जो अपने परिवार के साथ रहती थी, और जो भूल चुकी थी कि वह कौन है और कहाँ से है, जब तक कि बुद्ध उसे किसी दिन दोबारा घर आने का बुलावा न भेज दें।

      श्री ली अपनी बीवी को अपनी ओर आते देख रहा था, वह अपने सरोंग के नीचे किसी चीज़ को व्यवस्थित करने का प्रयास कर रही थी, लेकिन बाहर से – कुछ था, जो सही बैठ नहीं रहा था, उसने मान लिया था, लेकिन कभी पूछा नहीं। वह मेज़ के किनारे पर बैठ गई और अपने पैरों को ऐसे झुलाने लगी जैसे कोई जलपरी डैनिश चट्टान पर बैठी हो।

      “अच्छा, उस बूढ़ी डायन ने क्या कहा?”

      “ओह, छोड़ो भी मॅड, वह इतनी बुरी भी नहीं है। अच्छा, तुम और वह इस पर कभी एक नहीं होते, लेकिन कभी-कभी यह ऐसे ही चलता है, नहीं? उसने कभी तुम्हारे बारे में कोई बुरी बात नहीं कही, क्यों? केवल तीस मिनट पहले वह तुम्हारे स्वास्थ्य के बारे में पूछ रही थी….और बच्चों के।”

      “तुम भी कभी कभी कैसी मूर्खता की बातें करते हो, हेंग। जब उसके आसपास लोग उसे सुन रहे होते हैं तो वह मुझ से मेरे बारे में अच्छे से बात करती है, लेकिन जब कभी भी हम अकेले होते हैं, वह मुझसे कचरे के जैसा बर्ताव करती है, और हमेशा करती रही है। वह मुझसे नफरत करती है, लेकिन वह इतनी कुटिल है कि वह तुम्हें यह पता नहीं चलने देगी, क्योंकि वह जानती है कि तुम मेरा पक्ष लोगे, उसका नहीं। तुम मर्द लोग सोचते हो कि दुनिया में तुम्हीं सबसे बुद्धिमान हो, लेकिन तुम्हें इसकी खबर नहीं होती है कि तुम्हारी नाक के नीचे क्या चल रहा है।”

      “उसने हर तरह की चीजों के लिए कई वर्षों से और कई बार हमेशा मुझे ही दोषी ठहराया है… जैसे कि घर साफ न रखना, बच्चों को नहीं नहलाना और एक बार तो उसने मुझसे यह तक कहा था कि मेरे भोजन में ऐसी गंध आती है, जैसे मैंने

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