चाँद का नृत्य (रक्त बंधन किताब एक). Amy Blankenship
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Читать онлайн книгу चाँद का नृत्य (रक्त बंधन किताब एक) - Amy Blankenship страница 2
थोड़ी ही देर पहले टबाथा एक मिनट के लिए रुकी थी और अपनी साँसों पर क़ाबू पाया था। वह एक पेड़ के साहारे झुक गई और अपने हाथ उसने अपने गंदे घुटनों पर रख लिए, वह सांस लेती रही और जंगल की आवाज़ों को सुनती रही। वह हमेशा से जंगल में जाना चाहती थी और ये आवाज़ें सुनना चाहती थी, जैसा टीवी की फिल्मों में इंडियन करते थे।
बरसाती बादल, जो थोड़ी देर पहले ज़रा फट गए थे वापस घिर आए थे, तथा चाँदनी की चमक अचानक ग़ायब हो गई थी। जब उसे एहसास हुआ कि शिविर-स्थल की रौशनियाँ अब उसकी नज़रों से ओझल हो चुकी हैं तो उस की आँखें फैल गईं।
उसने हिचकते हुए कदम बढ़ाया, और चारों ओर नज़र दौड़ाई, लेकिन उसे अंधेरे, मुश्किल से दिखने वाले पेड़ों के तने और गहरी छायाओं के अलावा और कुछ भी नज़र नहीं आया। जब उसे अपने पीछे थोड़ी दूरी पर गुर्राने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो वह रोने लगी। यह फैसला कर के कि वह उस दिशा में नहीं जाना चाहती, उसने बिना पीछे देखा भागना आरंभ कर दिया।
जैसा कि हमेशा लगता था, उसने फिर से स्क्रैपी को भौंकते हुए सुना और यह उम्मीद करते हुए कि गुर्राने वाला प्राणी उसका पीछा नहीं कर रहा है, उसी दिशा में भागी। उसने एक और गुर्राहट सुनी, लेकिन इस बार वह आवाज़ उसके सामने की ओर कहीं से आ रही थी। उसने अपनी एड़ी को ज़मीन पर गड़ाते हुए रुकने का प्रयास किया, लेकिन ज़मीन चिकनी पत्तियों और बारिश से भीगे हुए कूड़े से ढकी हुई थी। रुकने की बजाय वह और आगे की ओर फिसल गई, और फिर एक हल्की ढलान में गिर गई।
जब उसका शरीर एक गिरे हुए पेड़ से टकरा कर रुका तो उसकी सांस फूल गई थी।