चौथाई चाँद. Massimo Longo E Maria Grazia Gullo

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चौथाई चाँद - Massimo Longo E Maria Grazia Gullo

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ही नृत्य की गति में तेज़ी आने लगी उसकी आंटी ने उसे लहराते हुए हाथ से पकड़ लिया और उसे नृत्य करने और घूमने के लिए प्रेरित किया।

      उसने अनपेक्षित रूप से इस निर्णय का विरोध नहीं किया। एक पल के लिए उसने लय को अपने शरीर से निकलते महसूस किया। उसे इतना मज़ा आ रहा था कि अपने चेहरे की मांसपेशियों में एक अजीब से खिंचाव के कारण दर्द महसूस होने लगा था, जो उसने सालों से महसूस नहीं किया था।

      वह नृत्य करते हुए अपनी आंटी की बाहों से निकल कर कई दूसरी लड़कियों की बाहों में भी गया, जो कौतूहल और रुचि से उसकी ओर ताक रही थीं।

      आखिरी लड़की के साथ नृत्य करना बंद करने के बाद एलियो अपनी सीट पर वापस आ गया। वह अपने खून को अपनी पैरों में प्रवाहित होता हुआ महसूस कर रहा था। अचानक उसे फिर से उस अजीब डरावनी घंटी के बजने की आवाज़ आने लगी, जिसने उसे मुख्य चौक से दूर जाने पर विवश कर दिया। वही संगीत, जिस पर वह कुछ देर पहले नृत्य कर रहा था, बहरा कर देने वाले शोर में बदल गया।

      वह गिरिजाघर के साथ बने उद्यान की ओर चल पड़ा, जहां कुछ पुराने ट्रैक्टरों को प्रदर्शित किया गया था। कुछ बच्चों का समूह उन्हें देख रहा था, और उनके आस-पास दौड़ लगा रहा था।

      एलियो एक अंधेरे कोने में बैठ गया और उन्हें देखने लगा।

      वह सारी हंसी उसके दिमाग में गूंज रही थी और उसे एक पुरानी खुशी की याद दिला रही थी, जिसे बहुत समय पहले दफना दिया गया था।

      उसे उस बच्चे से जलन महसूस हो रही थी, जो खुशी-खुशी अपने पिता की ओर दौड़ रहा था और उसका हाथ पकड़ रहा था। जब उसने यह देखा, तो उसकी एक पुरानी याद छलकने लगी: उसके पिता के हाथ की गर्माहट और खुशबू।

      उसकी कनपटियों में एक तीव्र दर्द उठा। वह कुछ सोच नहीं पाया। उसने अपना सिर अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया। वह ठंडा पड़ गया।

      “एलियो, तुम यहाँ अकेले बैठे क्या कर रहे हो? क्या तुम्हें कुछ तकलीफ है?”

      इडा आंटी, जिसने रात भर

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