सात ग्रह. Massimo Longo E Maria Grazia Gullo
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“रुएग्रा को आशा थी कि उसके प्रशासक ने अपने बेवकूफी भरे फैसलों से सूचना प्राप्त करने की सारी संभावनाओं को नष्ट नहीं कर दिया होगा।
“वहाँ कुछ भी नहीं बचा है।” मैस्टिगो ने सीधी सूचना दी, जो इतना संतुष्ट दिख रहा था, जैसे एक बच्चा, जिसने अपने नन्हे शिकारों को तबाह कर डाला हो।
रुएग्रा ने खुद को उस पर हमला करने से बड़ी मुश्किल से रोका और उससे पूछा कि दल कहाँ गया था।
यह जान कर कि यह कोई अच्छी बात नहीं थी, मैस्टिगो एक गहरी सांस ले कर रह गया।
“हम उसे नहीं पा सके। ज़रूर वह भाग गए होंगे।”
“तुम ने न केवल सारे सबूत मिटा डाले, बल्कि तुम ने उन्हें भागने का मौका भी दे दिया! तुम कितने निकम्मे हो! मुझे वहाँ ले चलो!”
फिर दूसरे ही पल उसे खयाल आया कि मैस्टिगो को अपनी योजना के बारे में पता चलने देना ठीक नहीं होगा।
“मेरे साथ जाने के लिए एक दल तैयार करो। मैं तुम्हारे बिना ही जाऊंगा।”
दूसरा अध्याय
उनके सर पर एक पत्थर की तलवार लटक रही थी
“तैयार हो जाओ, हो सकता है वहाँ पहुँचने पर हमारा स्वागत न किया जाए।” ओलिफ़ ने कहा, जो समूह में सबसे चतुर था।
दल ग्रहों के चार सदस्यों को मिला कर बनाया गया था, जो कैरिमिया के क़ानूनों के विरुद्ध लड़ रहा था। उन्हें उनके अतीत के कारनामों तथा उनकी शारीरिक तथा मानसिक क्षमताओं के कारण चुना गया था। साथ मिल कर उनकी ताक़त इतना बढ़ जाती थी, कि वे शारीरिक या रणनीतिक किसी भी तौर पर, किसी भी मुहिम का सामना कर सकते थे। उन पर शांति बनाए रखने का दायित्व था, न सिर्फ उन्हें बल पूर्वक आपराधिक गतिविधियों को रोकना था, बल्कि बुद्धिमत्ता से रणनीति बना कर विभिन्न जनसंख्याओं के बीच तालमेल बनाए रखना भी उनका काम था।
चार ग्रहों