सात ग्रह. Massimo Longo E Maria Grazia Gullo
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जैम ने अपने शरीर को सामान्य से अजीब तरह से हल्का होते महसूस किया। वह चारों तरफ आश्चर्य से देख रहा था, और इस पूरी पैदल यात्रा ने उसकी भूख जगा दी थी।
“अरे वाह, यह सच में नाश्ते के लिए एक अच्छी जगह है। मुझे वाकई उम्मीद है कि तुम अपने बैक पैक में कुछ खाना लाई होगी।”
“तुम हमेशा खाने के बारे में ही सोचते हो।” जाइरा मुस्कुराई।
उसने अपने बैकपैक से एक रस्सी निकाली। उसने अपने जूते उतारे और उसे कुछ झाड़ियों से बांध दिया। इसके बाद वह घाटी के और करीब चली गई।
जैम एहसास ही नहीं कर पाया कि उसकी दोस्त क्या करने जा रही है।
उसे पूछने का समय भी नहीं मिला कि उसने जाइरा को शून्य में कूदते देखा। डर ने उनके बीच एक बेहतरीन बंधन बांधा, और वह यह देखने के लिए किनारे की ओर भागा कि जाइरा कहाँ गई।
उसने किनारे को अनदेखा कर दिया और देखा, जाइरा हँसते हुए हवा में तैर रही थी।
उस समय यह सोच कर कि उसने उसे कितना डरा दिया था, उसका मन किया कि उसे मार डाले, लेकिन उसी समय, उसे देख कर उसे खुशी और राहत भी महसूस हुई।
जाइरा शीघ्रता से तैर कर किनारे की ओर आई और जैम के नजदीक उतर गई।
“क्या तुम पागल हो? मुझे लगा कि तुम चट्टानों से टकरा गई होगी! तुम्हें मुझे बताना चाहिए था।” उसने गुस्से से बोला।
“और तुम्हारे चेहरे के भावों को मिस कर देती? तुम्हें अपना चेहरा देखना चाहिए था।” उसने बजे मज़े से हँसते हुए कहा।
“बहुत अच्छे!” जैम ने व्यंग से कहा, जो चिढ़ा हुआ महसूस कर रहा था।
“माफ करना, मैं तुम्हें